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लोग औरत को फ़क़त जिस्म समझ लेते हैं

लोग औरत को फ़क़त जिस्म समझ लेते हैं

रुह भी होती है उस में ये कहाँ सोचते हैं

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लोग औरत को फ़क़त जिस्म समझ लेते हैं — Sahir Ludhianvi • ShayariPage