SHER•11/7/2020ज़ुल्म फिर ज़ुल्म है बढ़ता है तो मिट जाता हैBy Sahir LudhianviLikeShareReportHindiEnglishज़ुल्म फिर ज़ुल्म है बढ़ता है तो मिट जाता है ख़ून फिर ख़ून है टपकेगा तो जम जाएगा