ज़ुल्म फिर ज़ुल्म है बढ़ता है तो मिट जाता है

ज़ुल्म फिर ज़ुल्म है बढ़ता है तो मिट जाता है

ख़ून फिर ख़ून है टपकेगा तो जम जाएगा