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हम अम्न चाहते हैं मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़

हम अम्न चाहते हैं मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़

गर जंग लाज़मी है तो फिर जंग ही सही

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हम अम्न चाहते हैं मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़ — Sahir Ludhianvi • ShayariPage