हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठेंSahir Ludhianvi@sahir-ludhianviहज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठेंवो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं