Shayari Page
SHER

फ़क़ीर-ए-शहर के तन पर लिबास बाक़ी है

फ़क़ीर-ए-शहर के तन पर लिबास बाक़ी है

अमीर-ए-शहर के अरमाँ अभी कहाँ निकले

Comments

Loading comments…
फ़क़ीर-ए-शहर के तन पर लिबास बाक़ी है — Sahir Ludhianvi • ShayariPage