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छू लेने दो नाज़ुक होठों को, कुछ और नहीं हैं जाम हैं ये

छू लेने दो नाज़ुक होठों को, कुछ और नहीं हैं जाम हैं ये

क़ुदरत ने जो हमको बख़्शा है, वो सबसे हसीं ईनाम हैं ये

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छू लेने दो नाज़ुक होठों को, कुछ और नहीं हैं जाम हैं ये — Sahir Ludhianvi • ShayariPage