Shayari Page
NAZM

आओ कि आज ग़ौर करें इस सवाल पर

आओ कि आज ग़ौर करें इस सवाल पर

देखे थे हम ने जो वो हसीं ख़्वाब क्या हुए

दौलत बढ़ी तो मुल्क में अफ़्लास क्यूँ बढ़ा

ख़ुश-हाली-ए-अवाम के अस्बाब क्या हुए

जो अपने साथ साथ चले कू-ए-दार तक

वो दोस्त वो रफ़ीक़ वो अहबाब क्या हुए

क्या मोल लग रहा है शहीदों के ख़ून का

मरते थे जिन पे हम वो सज़ा-याब क्या हुए

बे-कस बरहनगी को कफ़न तक नहीं नसीब

वो व'अदा-हा-ए-अतलस-ओ-किम-ख़्वाब क्या हुए

जम्हूरियत-नवाज़ बशर-दोस्त अम्न-ख़्वाह

ख़ुद को जो ख़ुद दिए थे वो अलक़ाब क्या हुए

मज़हब का रोग आज भी क्यूँ ला-इलाज है

वो नुस्ख़ा-हा-ए-नादिर-ओ-नायाब क्या हुए

हर कूचा शोला-ज़ार है हर शहर क़त्ल-गाह

यक-जहती-ए-हयात के आदाब क्या हुए

सहरा-ए-तीरगी में भटकती है ज़िंदगी

उभरे थे जो उफ़ुक़ पे वो महताब क्या हुए

मुजरिम हूँ मैं अगर तो गुनहगार तुम भी हो

ऐ रहबरना-ए-क़ौम ख़ता-कार तुम भी हो

Comments

Loading comments…