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GHAZAL

संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है

संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है

इक धुँद से आना है इक धुँद में जाना है

ये राह कहाँ से है ये राह कहाँ तक है

ये राज़ कोई राही समझा है न जाना है

इक पल की पलक पर है ठहरी हुई ये दुनिया

इक पल के झपकने तक हर खेल सुहाना है

क्या जाने कोई किस पर किस मोड़ पर क्या बीते

इस राह में ऐ राही हर मोड़ बहाना है

हम लोग खिलौना हैं इक ऐसे खिलाड़ी का

जिस को अभी सदियों तक ये खेल रचाना है

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संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है — Sahir Ludhianvi • ShayariPage