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GHAZAL

इतनी हसीन इतनी जवाँ रात क्या करें

इतनी हसीन इतनी जवाँ रात क्या करें

जागे हैं कुछ अजीब से जज़्बात क्या करें

पेड़ों के बाज़ुओं में महकती है चाँदनी

बेचैन हो रहे हैं ख़यालात क्या करें

साँसों में घुल रही है किसी साँस की महक

दामन को छू रहा है कोई हात क्या करें

शायद तुम्हारे आने से ये भेद खुल सके

हैरान हैं कि आज नई बात क्या करें

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इतनी हसीन इतनी जवाँ रात क्या करें — Sahir Ludhianvi • ShayariPage