अब आएँ या न आएँ इधर पूछते चलो

अब आएँ या न आएँ इधर पूछते चलो

क्या चाहती है उन की नज़र पूछते चलो

हम से अगर है तर्क-ए-तअल्लुक़ तो क्या हुआ

यारो कोई तो उन की ख़बर पूछते चलो

जो ख़ुद को कह रहे हैं कि मंज़िल-शनास हैं

उन को भी क्या ख़बर है मगर पूछते चलो

किस मंज़िल-ए-मुराद की जानिब रवाँ हैं हम

ऐ रह-रवान-ए-ख़ाक-बसर पूछते चलो