तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा करके

तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा करके

दिल के बाज़ार में बैठे हैं ख़सारा करके


आते जाते हैं कई रंग मेरे चेहरे पर

लोग लेते हैं मज़ा ज़िक्र तुम्हारा करके


एक चिंगारी नज़र आई थी बस्ती में उसे

वो अलग हट गया आँधी को इशारा करके


आसमानों की तरफ़ फेंक दिया है मैंने

चंद मिट्टी के चराग़ों को सितारा करके


मैं वो दरिया हूँ कि हर बूँद भँवर है जिसकी

तुम ने अच्छा ही किया मुझ से किनारा करके


मुंतज़िर हूँ कि सितारों की ज़रा आँख लगे

चाँद को छत पे बुला लूँगा इशारा करके