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मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ

मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ

यहाँ हमदर्द हैं दो-चार मेरे

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मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ — Rahat Indori • ShayariPage