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लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूँ हैं

लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूँ हैं

इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं

मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए

और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूँ हैं

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लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूँ हैं — Rahat Indori • ShayariPage