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कई दिनों से अँधेरों का बोलबाला है

कई दिनों से अँधेरों का बोलबाला है

चराग़ ले के पुकारो कहाँ उजाला है

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कई दिनों से अँधेरों का बोलबाला है — Rahat Indori • ShayariPage