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दो गज़ सही मगर ये मेरी मिल्कियत तो है

दो गज़ सही मगर ये मेरी मिल्कियत तो है

ऐ मौत तूने मुझे ज़मींदार कर दिया

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दो गज़ सही मगर ये मेरी मिल्कियत तो है — Rahat Indori • ShayariPage