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अपने हाकिम की फ़कीरी पे तरस आता है

अपने हाकिम की फ़कीरी पे तरस आता है

जो ग़रीबों से पसीने की कमाई माँगे

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अपने हाकिम की फ़कीरी पे तरस आता है — Rahat Indori • ShayariPage