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GHAZAL

ज़बाँ तो खोल नज़र तो मिला जवाब तो दे

ज़बाँ तो खोल नज़र तो मिला जवाब तो दे

मैं कितनी बार लुटा हूँ मुझे हिसाब तो दे

तेरे बदन की लिखावट में है उतार चढ़ाव

मैं तुझे कैसे पढूँगा मुझे किताब तो दे

तेरा सवाल है साक़ी कि ज़िंदगी क्या है?

जवाब देता हूँ पहले मुझे शराब तो दे

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ज़बाँ तो खोल नज़र तो मिला जवाब तो दे — Rahat Indori • ShayariPage