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GHAZAL

ज़िंदगी की हर कहानी बेअसर हो जाएगी

ज़िंदगी की हर कहानी बेअसर हो जाएगी

हम ना होंगे तो ये दुनिया दर-ब-दर हो जाएगी

पांव पत्थर करके छोड़ेगी अगर रुक जाइये

चलते रहिए तो ज़मीं भी हमसफ़र हो जाएगी

तुमने ख़ुद ही सर चढ़ाई थी सो अब चक्खो मज़ा

मैं न कहता था के दुनिया दर्द-ए-सर हो जाएगी

तल्खियां भी लाज़िमी हैं ज़िन्दगी के वास्ते

इतना मीठा बनकर मत रहिए शकर हो जाएगी

जुगनुओं को साथ लेकर रात रौशन कीजिए

रास्ता सूरज का देखा तो सहर हो जाएगी

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