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GHAZAL

रात की धड़कन जब तक जारी रहती है

रात की धड़कन जब तक जारी रहती है

सोते नहीं हम ज़िम्मेदारी रहती है

जब से तू ने हल्की हल्की बातें कीं

यार तबीअत भारी भारी रहती है

पाँव कमर तक धँस जाते हैं धरती में

हाथ पसारे जब ख़ुद्दारी रहती है

वो मंज़िल पर अक्सर देर से पहुँचे हैं

जिन लोगों के पास सवारी रहती है

छत से उस की धूप के नेज़े आते हैं

जब आँगन में छाँव हमारी रहती है

घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया

घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है

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रात की धड़कन जब तक जारी रहती है — Rahat Indori • ShayariPage