GHAZAL•
दिए बुझे हैं मगर दूर तक उजाला है
By Rahat Indori
दिए बुझे हैं मगर दूर तक उजाला है
ये आप आए हैं या दिन निकलने वाला है
ख़्याल में भी तेरा अक़्स देखने के बाद
जो शख़्स होश गंवा दे वो दोश वाला है
जवाब देने के अन्दाज़ भी निराले हैं
सलाम करने का अन्दाज़ भी निराला है
सुनहरी धूप है सदक़ा तेरे तबस्सुम का
ये चाँदनी तेरी परछाईं का उजाला है
है तेरे पैरों की आहट ज़मीन की गर्दिश
ये आसमां तेरी अंगड़ाई का हवाला है