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GHAZAL

दिए बुझे हैं मगर दूर तक उजाला है

दिए बुझे हैं मगर दूर तक उजाला है

ये आप आए हैं या दिन निकलने वाला है

ख़्याल में भी तेरा अक़्स देखने के बाद

जो शख़्स होश गंवा दे वो दोश वाला है

जवाब देने के अन्दाज़ भी निराले हैं

सलाम करने का अन्दाज़ भी निराला है

सुनहरी धूप है सदक़ा तेरे तबस्सुम का

ये चाँदनी तेरी परछाईं का उजाला है

है तेरे पैरों की आहट ज़मीन की गर्दिश

ये आसमां तेरी अंगड़ाई का हवाला है

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