दिल बुरी तरह से धड़कता रहा

दिल बुरी तरह से धड़कता रहा

वो बराबर मुझे ही तकता रहा

रोशनी सारी रात कम ना हुई

तारा पलकों पे इक चमकता रहा

छू गया जब कभी ख़याल तेरा

दिल मेरा देर तक धड़कता रहा

कल तेरा ज़िक्र छिड़ गया घर में

और घर देर तक महकता रहा

उसके दिल में तो कोई मैल न था

मैं ख़ुदा जाने क्यूँ झिझकता रहा

मीर को पढ़ते पढ़ते सोया था

रात भर नींद में सिसकता रहा