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GHAZAL

चमकते लफ़्ज़ सितारों से छीन लाए हैं

चमकते लफ़्ज़ सितारों से छीन लाए हैं

हम आसमाँ से ग़ज़ल की ज़मीन लाए हैं

वो और होंगे जो ख़ंजर छुपा के लाते हैं

हम अपने साथ फटी आस्तीन लाए हैं

हमारी बात की गहराई ख़ाक समझेंगे

जो पर्बतों के लिए ख़ुर्दबीन लाए हैं

हँसो न हम पे कि हर बद-नसीब बंजारे

सरों पे रख के वतन की ज़मीन लाए हैं

मिरे क़बीले के बच्चों के खेल भी हैं अजीब

किसी सिपाही की तलवार छीन लाए हैं

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