चमकते लफ़्ज़ सितारों से छीन लाए हैं

चमकते लफ़्ज़ सितारों से छीन लाए हैं

हम आसमाँ से ग़ज़ल की ज़मीन लाए हैं


वो और होंगे जो ख़ंजर छुपा के लाते हैं

हम अपने साथ फटी आस्तीन लाए हैं


हमारी बात की गहराई ख़ाक समझेंगे

जो पर्बतों के लिए ख़ुर्दबीन लाए हैं


हँसो न हम पे कि हर बद-नसीब बंजारे

सरों पे रख के वतन की ज़मीन लाए हैं


मिरे क़बीले के बच्चों के खेल भी हैं अजीब

किसी सिपाही की तलवार छीन लाए हैं