Shayari Page
GHAZAL

बुलाती है मगर जाने का नहीं

बुलाती है मगर जाने का नहीं

ये दुनिया है इधर जाने का नहीं

मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर

मगर हद से गुज़र जाने का नहीं

ज़मीं भी सर पे रखनी हो तो रखो

चले हो तो ठहर जाने का नहीं

सितारे नोच कर ले जाऊंगा

मैं खाली हाथ घर जाने का नहीं

वबा फैली हुई है हर तरफ

अभी माहौल मर जाने का नहीं

वो गर्दन नापता है नाप ले

मगर जालिम से डर जाने का नहीं

Comments

Loading comments…