ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई माँगे
ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई माँगे
जो हो परदेस में वो किससे रजाई माँगे
अपने हाकिम की फ़क़ीरी पर तरस आता है
जो ग़रीबों से पसीने की कमाई माँगे
अपने मुंसिफ़ की ज़िहानत पे मैं क़ुर्बान कि जो
क़त्ल भी हम हो हमीं से ही वो सफाई माँगे