GHAZAL•
ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई माँगे
By Rahat Indori
ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई माँगे
जो हो परदेस में वो किससे रजाई माँगे
अपने हाकिम की फ़क़ीरी पर तरस आता है
जो ग़रीबों से पसीने की कमाई माँगे
अपने मुंसिफ़ की ज़िहानत पे मैं क़ुर्बान कि जो
क़त्ल भी हम हो हमीं से ही वो सफाई माँगे