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GHAZAL

अब जो बाज़ार में रखे हैं तो हैरत क्या है

अब जो बाज़ार में रखे हैं तो हैरत क्या है

जो भी देखेगा वो पूछेगा के क़ीमत क्या है

रोज़ इन ताज़ा कसीदों की ज़रूरत ही नहीं

आप तो इतना बता दें की ज़रूरत क्या है

ये जो मंदी का ज़माना है गुज़र जाने दे

फिर पता तुझको चलेगा मेरी कीमत क्या है

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अब जो बाज़ार में रखे हैं तो हैरत क्या है — Rahat Indori • ShayariPage