"बड़ी लंबी कहानी है यार"

"बड़ी लंबी कहानी है यार"

ये दास्ताँ लंबी कि इतनी

बीच में थक जाऊँगा

तुम क्या सुनोगी कब तलक

मैं क्या बयाँ कर पाऊँगा!

अब देख लेते हैं कि जानम

साथ में उम्मीद का

ये पल सुनहरा मिल गया है

इत्तेफ़ाक़न नींद का

तुम आँख मूँदे सो रहो

मैं भी ज़ुबाँ को तब तलक

अच्छे से दूँ कुछ लफ़्ज़ वरना

बदज़ुबाँ हो जाऊँगा

तुम क्या सुनोगी कब तलक

मैं क्या बयाँ कर जाऊँगा

तुम क्या सुनोगी कब तलक

मैं क्या बयाँ कर पाऊँगा!

ये रात है लंबी इतनी कि

ख़्वाब में कट जाएगी

कि दास्तानें बढ़ चलेंगी

नींद भी ना आएगी...

तुम नींद की चिंता करो ना

आज वादा है मेरा

तुम सोच भी सकती नहीं मैं

क्या सुनाकर जाऊँगा

तुम क्या सुनोगी कब तलक

मैं क्या बयाँ कर पाऊँगा...