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ये दुख नहीं कि अँधेरो से सुल्ह की हमने

ये दुख नहीं कि अँधेरो से सुल्ह की हमने

मलाल ये है कि अब सुब्ह की तलब भी नहीं

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ये दुख नहीं कि अँधेरो से सुल्ह की हमने — Parveen Shakir • ShayariPage