SHER•1/19/2021बोझ उठाए हुए फिरती है हमारा अब तकBy Parveen ShakirLikeShareReportHindiEnglishबोझ उठाए हुए फिरती है हमारा अब तक ऐ ज़मीं माँ तिरी ये उम्र तो आराम की थी