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बारिशें जाड़े की और तन्हा बहुत मेरा किसान

बारिशें जाड़े की और तन्हा बहुत मेरा किसान

जिस्म और इकलौता कंबल भीगता है साथ-साथ

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बारिशें जाड़े की और तन्हा बहुत मेरा किसान — Parveen Shakir • ShayariPage