Shayari Page
SHER

अभी से मेरे रफ़ूगर के हाथ थकने लगे

अभी से मेरे रफ़ूगर के हाथ थकने लगे

अभी तो चाक मिरे ज़ख़्म के सिले भी नहीं

ख़फ़ा अगरचे हमेशा हुए मगर अब के

वो बरहमी है कि हम से उन्हें गिले भी नहीं

Comments

Loading comments…
अभी से मेरे रफ़ूगर के हाथ थकने लगे — Parveen Shakir • ShayariPage