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NAZM

गहरी भूरी आँखों वाला इक शहज़ादा

गहरी भूरी आँखों वाला इक शहज़ादा

दूर देस से

चमकीले मुश्की घोड़े पर हवा से बातें करता

जिगर जिगर करती तलवार से जंगल काटता आया

दरवाज़ों से लिपटी बेलें परे हटाता

जंगल की बाँहों में जकड़े महल के हाथ छुड़ाता

जब अंदर आया तो देखा

शहज़ादी के जिस्म की सारी सूइयाँ ज़ंग-आलूदा थीं

रस्ता देखने वाली आँखें

सारे शिकवे भुला चुकी थीं!

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गहरी भूरी आँखों वाला इक शहज़ादा — Parveen Shakir • ShayariPage