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NAZM

उस ने मेरे हाथ में बाँधा

उस ने मेरे हाथ में बाँधा

उजला कंगन बेले का

पहले प्यार से थामी कलाई

बा'द इस के हौले हौले पहनाया

गहना फूलों का

फिर झुक कर हाथ को चूम लिया

फूल तो आख़िर फूल ही थे

मुरझा ही गए

लेकिन मेरी रातें उन की ख़ुशबू से अब तक रौशन हैं

बाँहों पर वो लम्स अभी तक ताज़ा है

शाख़-ए-सनोबर पर इक चाँद दमकता है

फूल का गहना

प्रेम का कंगन

प्यार का बंधन

अब तक मेरी याद के हाथ से लिपटा हुआ है

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उस ने मेरे हाथ में बाँधा — Parveen Shakir • ShayariPage