गुड़िया सी ये लड़की

गुड़िया सी ये लड़की

जिस की उजली हँसी से

मेरा आँगन दमक रहा है

कल जब सात समुंदर पार चली जाएगी

और साहिली शहर के सुर्ख़ छतों वाले घर के अंदर

पूरे चाँद की रौशनी बन कर बिखरेगी

हम सब उस को याद करेंगे

और अपने अश्कों के सच्चे मोतियों से

सारी उम्र

इक ऐसा सूद उतारते जाएँगे

जिस का अस्ल भी हम पर क़र्ज़ नहीं था!