वो एक लड़की

वो एक लड़की

कि जिस से शायद मैं एक पल भी नहीं मिली हूँ

मैं उस के चेहरे को जानती हूँ

कि उस का चेहरा

तुम्हारी नज़्मों तुम्हारी गीतों की चिलमनों से उभर रहा है

यक़ीन जानो

मुझे ये चेहरा तुम्हारे अपने वजूद से भी अज़ीज़-तर है

कि उस की आँखों में

चाहतों के वही समुंदर छुपे हैं

जो मेरी अपनी आँखों में मौजज़न हैं

वो तुम को इक देवता बना कर मिरी तरह पूजती रही है

उस एक लड़की का जिस्म

ख़ुद मेरा ही बदन है

वो एक लड़की

जो मेरे अपने गए जनम की मधुर सदा है