जान
जान
मुझे अफ़्सोस है
तुम से मिलने शायद इस हफ़्ते भी न आ सकूँगा
बड़ी अहम मजबूरी है
जान
तुम्हारी मजबूरी को
अब तो मैं भी समझने लगी हूँ
शायद इस हफ़्ते भी
तुम्हारे चीफ़ की बीवी तन्हा होगी
जान
मुझे अफ़्सोस है
तुम से मिलने शायद इस हफ़्ते भी न आ सकूँगा
बड़ी अहम मजबूरी है
जान
तुम्हारी मजबूरी को
अब तो मैं भी समझने लगी हूँ
शायद इस हफ़्ते भी
तुम्हारे चीफ़ की बीवी तन्हा होगी