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NAZM

मैं ने सारी उम्र

मैं ने सारी उम्र

किसी मंदिर में क़दम नहीं रक्खा

लेकिन जब से

तेरी दुआ में

मेरा नाम शरीक हुआ है

तेरे होंटों की जुम्बिश पर

मेरे अंदर की दासी के उजले तन में

घंटियाँ बजती रहती हैं!

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