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GHAZAL

तेरा घर और मेरा जंगल भीगता है साथ साथ

तेरा घर और मेरा जंगल भीगता है साथ साथ

ऐसी बरसातें कि बादल भीगता है साथ साथ

बचपने का साथ है फिर एक से दोनों के दुख

रात का और मेरा आँचल भीगता है साथ साथ

वो अजब दुनिया कि सब ख़ंजर-ब-कफ़ फिरते हैं और

काँच के प्यालों में संदल भीगता है साथ साथ

बारिश-ए-संग-ए-मलामत में भी वो हमराह है

मैं भी भीगूँ ख़ुद भी पागल भीगता है साथ साथ

लड़कियों के दुख अजब होते हैं सुख उस से अजीब

हँस रही हैं और काजल भीगता है साथ साथ

बारिशें जाड़े की और तन्हा बहुत मेरा किसान

जिस्म और इकलौता कम्बल भीगता है साथ साथ

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