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GHAZAL

मलाल है मगर इतना मलाल थोड़ी है

मलाल है मगर इतना मलाल थोड़ी है

ये आँख रोने की शिद्दत से लाल थोड़ी है

बस अपने वास्ते ही फ़िक्र-मंद हैं सब लोग

यहाँ किसी को किसी का ख़याल थोड़ी है

परों को काट दिया है उड़ान से पहले

ये ख़ौफ़-ए-हिज्र है शौक़-ए-विसाल थोड़ी है

मज़ा तो तब है कि तुम हार के भी हँसते रहो

हमेशा जीत ही जाना कमाल थोड़ी है

लगानी पड़ती है डुबकी उभरने से पहले

ग़ुरूब होने का मतलब ज़वाल थोड़ी है

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मलाल है मगर इतना मलाल थोड़ी है — Parveen Shakir • ShayariPage