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कहाँ चराग़ जलाएँ कहाँ गुलाब रखें

कहाँ चराग़ जलाएँ कहाँ गुलाब रखें

छतें तो मिलती हैं लेकिन मकाँ नहीं मिलता

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कहाँ चराग़ जलाएँ कहाँ गुलाब रखें — Nida Fazli • ShayariPage