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इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे

इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे

रौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा

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इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे — Nida Fazli • ShayariPage