Shayari Page
SHER

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा

मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समुंदर मेरा

Comments

Loading comments…