हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा Nida Fazli@nida-fazliहर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समुंदर मेरा