अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं Nida Fazli@nida-fazliअपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं