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NAZM

"वो लड़की"

"वो लड़की"

वो लड़की याद आती है

जो होंटों से नहीं पूरे बदन से बात करती थी

सिमटते वक़्त भी चारों दिशाओं में बिखरती थी

वो लड़की याद आती है

वो लड़की अब न जाने किस के बिस्तर की किरन होगी

अभी तक फूल की मानिंद होगी या चमन होगी

सजीली रात

अब भी

जब कभी घूँघट उठाती है

लचकती कहकशाँ जब बनते बनते टूट जाती है

कोई अलबेली ख़ुशबू बाल खोले मुस्कुराती है

वो लड़की याद आती है

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