"लफ़्ज़ों का पुल"

"लफ़्ज़ों का पुल"


मस्जिद का गुम्बद सूना है

मंदिर की घंटी ख़ामोश

जुज़दानों में लिपटे आदर्शों को

दीमक कब की चाट चुकी है

रंग

गुलाबी

नीले

पीले

कहीं नहीं हैं

तुम उस जानिब

मैं इस जानिब

बीच में मीलों गहरा ग़ार

लफ़्ज़ों का पुल टूट चुका है

तुम भी तन्हा

मैं भी तन्हा