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NAZM

"ख़ुदा ख़ामोश है"

"ख़ुदा ख़ामोश है"

बहुत से काम हैं

लिपटी हुई धरती को फैला दें

दरख़्तों को उगाएँ

डालियों पे फूल महका दें

पहाड़ों को क़रीने से लगाएँ

चाँद लटकाएँ

ख़लाओं के सरों पे नील-गूँ आकाश

फैलाएँ

सितारों को करें रौशन

हवाओं को गती दे दें

फुदकते पत्थरों को पँख दे कर नग़्मगी दे दें

लबों को मुस्कुराहट

अँखड़ियों को रौशनी दे दें

सड़क पर डोलती परछाइयों को

ज़िंदगी दे दें

ख़ुदा ख़ामोश है!

तुम आओ तो तख़्लीक़ हो दुनिया

मैं इतने सारे कामों को अकेला कर नहीं सकता

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