"जेब कटने के ब'अद"

"जेब कटने के ब'अद"


मिरे कुर्ते की बूढ़ी जेब से कल

तुम्हारी याद!!

चुपके से निकल कर

सड़क के शोर-ओ-गुल में खो गई है

बड़ी बस्ती है

किस को फ़िक्र इतनी!

कि किस खोली में कब से तीरगी है

यहाँ

हर एक को अपनी पड़ी है