Shayari Page
NAZM

"जेब कटने के ब'अद"

"जेब कटने के ब'अद"

मिरे कुर्ते की बूढ़ी जेब से कल

तुम्हारी याद!!

चुपके से निकल कर

सड़क के शोर-ओ-गुल में खो गई है

बड़ी बस्ती है

किस को फ़िक्र इतनी!

कि किस खोली में कब से तीरगी है

यहाँ

हर एक को अपनी पड़ी है

Comments

Loading comments…
"जेब कटने के ब'अद" — Nida Fazli • ShayariPage