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NAZM

और रास्ता चल रहा है

और रास्ता चल रहा है

पोस्टर में वो जो लड़की हंस रही है

नौज़वां तन्हाइयों को डस रही है

आसमां सिर पर है, पैरों में ज़मीं है

कोई लाठी है न बम है

क्या ये कम है?

दूर बस्ती के किसी कोने में

काली दौलतों ने

थोड़ी तोड़ा फोड़ी की है

चलते फिरते शहर के

बस एक ही रस्ते में ग़म है

क्या ये कम है?

बाअसर लड़कों ने

इस नाज़ुक बदन से खेला

फिर उसको तोड़ डाला

टूटे-फूटे उस बदल का हाल

थाने में रकम है

क्या ये कम है?

खेल यूं हर जगह होता है जो

होता रहेगा....

जानवर हंसते रहेंगे

आदमी रोता रहेगा

ज़िंदा लाशें यूं ही हर अख़बार में

जलती रहेंगी सरहदों पर

सरहदों की गोलियां चलती रहेंगी

जिंदगी में फिर भी

सदियों से जिये जाने का दम है

क्या ये कम है...?

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और रास्ता चल रहा है — Nida Fazli • ShayariPage