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GHAZAL

तन्हा तन्हा दुख झेलेंगे महफ़िल महफ़िल गाएँगे

तन्हा तन्हा दुख झेलेंगे महफ़िल महफ़िल गाएँगे

जब तक आँसू पास रहेंगे तब तक गीत सुनाएँगे

तुम जो सोचो वो तुम जानो हम तो अपनी कहते हैं

देर न करना घर आने में वर्ना घर खो जाएँगे

बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो

चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे

अच्छी सूरत वाले सारे पत्थर-दिल हों मुमकिन है

हम तो उस दिन राय देंगे जिस दिन धोका खाएँगे

किन राहों से सफ़र है आसाँ कौन सा रस्ता मुश्किल है

हम भी जब थक कर बैठेंगे औरों को समझाएँगे

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तन्हा तन्हा दुख झेलेंगे महफ़िल महफ़िल गाएँगे — Nida Fazli • ShayariPage