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GHAZAL

नील-गगन में तैर रहा है उजला उजला पूरा चाँद

नील-गगन में तैर रहा है उजला उजला पूरा चाँद

माँ की लोरी सा बच्चे के दूध कटोरे जैसा चाँद

मुन्नी की भोली बातों सी चटकीं तारों की कलियाँ

पप्पू की ख़ामोशी शरारत सा छुप छुप कर उभरा चाँद

मुझ से पूछो कैसे काटी मैं ने पर्बत जैसी रात

तुम ने तो गोदी में ले कर घंटों चूमा होगा चाँद

परदेसी सूनी आँखों में शो'ले से लहराते हैं

भाबी की छेड़ों सा बादल आपा की चुटकी सा चाँद

तुम भी लिखना तुम ने उस शब कितनी बार पिया पानी

तुम ने भी तो छज्जे ऊपर देखा होगा पूरा चाँद

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नील-गगन में तैर रहा है उजला उजला पूरा चाँद — Nida Fazli • ShayariPage