Shayari Page
GHAZAL

नशा नशे के लिए है अज़ाब में शामिल

नशा नशे के लिए है अज़ाब में शामिल

किसी की याद को कीजे शराब में शामिल

हर इक तलाश यहाँ फ़ासलों से रौशन है

हक़ीक़तें कहाँ होती हैं ख़्वाब में शामिल

वो तुम नहीं हो तो फिर कौन था वो तुम जैसा

किसी का ज़िक्र तो था हर किताब में शामिल

हमें भी शौक़ है अपनी तरफ़ से जीने का

हमारा नाम भी कीजे इ'ताब में शामिल

अकेले कमरे में गुल-दान बोलते कब हैं

तुम्हारे होंट हैं शायद गुलाब में शामिल

ज़मीन रोज़ कहाँ मो'जिज़ा दिखाती है

मिरी निगाह भी होगी नक़ाब में शामिल

उसी का नाम है नग़्मा उसी का नाम ग़ज़ल

वो इक सुकून जो है इज़्तिराब में शामिल

Comments

Loading comments…
नशा नशे के लिए है अज़ाब में शामिल — Nida Fazli • ShayariPage